शनिवार, 14 नवंबर 2009

बाल-दिवस पर बच्चों को समर्पित: "बच्चे मन के सच्चे ."..

बच्चों के चाचा हैं जैसे बच्चे मन के सच्चे..
करते मनोविनोद सभी के बनके बच्चे अच्छे..
बनके बच्चे अच्छे सब लोगों को सदा सुहाते..
अभी शरारत हंसी-ठिठोली दुःख में भी ये सच्चे.
बिलकुल, बच्चे मन के सच्चे..
हाँ जी,बच्चे मन के सच्चे..!

1 टिप्पणी:

  1. बाल दिवस पर आपने बहुत ही सुंदर कविता लिखा है ! बहुत बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं

ब्लॉग पर आने के लिए और अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए चम्पक की और से आपको बहुत बहुत धन्यवाद .आप यहाँ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर हमें अपनी भावनाओं से अवगत करा सकते हैं ,और इसके लिए चम्पक आपका सदा आभारी रहेगा .

--धन्यवाद !