बुधवार, 18 नवंबर 2009

बाल-सलाह !

'सचिन' ध्यान दें खेल पर ऐसी 'बाल'-सलाह..
राजनीति के खेल पर उनकी आह-कराह...
उनकी आह-कराह मराठी हित की बात सुनाती..
पर ख़ुद की गुगली से ही पिटने पर शोर मचाती..

जीवन के अन्तिम लम्हों में भजन करें या कीर्तन..
पिछले वर्षों के पाप धुले ऐसे हो धर्मज-कर्मण..
ऐसे हो धर्मज कर्मण के अब गर्व मराठी कर लें...
सैनिक का धर्मं निभाना हो तो याद शिवा को कर लें..





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