कवि बनने की राह पर नए खुशबूदार पुष्प मिले ,उन्हें एक माला की तरह,अपने कविता-प्रेम के धागे में पिरोकर आगे बढ़ता गया,इन नए पुष्पों को संजोने की कोशिश में एक बहका सा और थोडा भटका सा शायर बन बैठा ,यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ वैसे ही अनमोल पुष्प जिन्हें अलग विषयों और अलग-अलग लोगों की पसंद के अनुसार लिखा था मैंने.आप सबसे यही अपेक्षा है कि मुझे आपके प्रेम की छाँव-तले और भी नए खुशबूदार पुष्प मिलें.जिन्हें अपने उसी प्रेम की माला में पिरोकर मैं एक अच्छा शायर और एक उत्कृष्ट कवि बन जाऊं!
रविवार, 10 अप्रैल 2011
सचिन,धोनी, और विश्व-कप: हिन्दुस्तान
कोई बॉलर नहीं ऐसा जिसे खेले न वो खुलकर,
"शहंशाह" है जो हर पिच का वही है जीत का मंतर,
समर में बेईमानों का जो ढीला पेंच यूँ कर दे,
वो है "भगवान्" दुनिया का जिसे कहते हैं "तेंदुलकर",
जहाँ पर हो "सचिन","सहवाग", "गौती", "कोहली", "रैना",
जहाँ "भज्जी", "युवी", "श्रीसंथ", "मुनाफु" का "ज़हीराना",
जहाँ "धोनी" की कप्तानी से थर्राए जगत सारा,
ये "हिन्दुस्तान" है इसको किसी से और क्या डरना..?
गुरुवार, 24 मार्च 2011
सोमवार, 21 मार्च 2011
रविवार, 6 फ़रवरी 2011
"एक" का फंडा
इसी एक को तरस रहे सब,एक नहीं जब एक fake है..!
एक नहीं तो रौब नहीं है,एक नहीं तो जॉब नहीं है...
TRUE भी एक है बाकी FALSE , एक हसीं दिलफेंक एक है ..!
एक दर्द,दिल, एक अश्क है,एक दीवाना एक इश्क है..
एक हुस्न पे तड़प-तड़प कर,तोड़ रहा दम एक अक्स है..!
यही खुदाया एक रस्म है,एक अदालत एक चश्म है..
एक तरफ भय क्रोध दीनता,एक यहाँ संपन्न जश्न है..!
एक "एक" की कथा पुरानी,एक लफ्ज़ बिन सबकुछ पानी..
इसी "एक" को तरस रहा मैं,चलो ख़तम अब "एक" कहानी..!
बुधवार, 2 फ़रवरी 2011
बेबस मन ..........
हर दिन कहना झूठ पिता से,जाता हूँ मैं रोज कहीं,
इंटरव्यू की बात चली जो,फंस जाता हूँ मगर वहीँ..!
कब तक ऐसे झूठ चलेगा,सच्चाई की राह नहीं,
पता नहीं किस्मत की रेखा क्या बतलाना चाह रही..?
ना जाने ये किन लहरों पे जीवन नैया भाग रही,
क्यूँ बेबस मन में बेचैनी घोर निराशा जाग रही....?
मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011
यौवन ...
धन्य-धन्य है मेरा मन देख के तेरा स्पंदन,
बहक रहे मेरे अंजन,छू लूं क्या ये तन-चन्दन..?
मचल रहा मेरा यौवन कहो लुटा दूं तन-मन-धन,
तेरे साँसों की खुशबु से ये पवन गूंजती है सन-सन..!
निशा नशे में झूम-झूमती चन्दन की बाहों में झन्न -झन्न,
नरम अधर के ही पराग में डूब भ्रमर करता रस-गुंजन..!
नैन-नशीले गाल-गुलाबी होठों पे प्रियतम का चन्दन,
रति-प्रिया के अंग-अंग में झलक रहा मद-यौवन छन-छन..!
मंगलवार, 25 जनवरी 2011
हम कश्मीरी लाल-चौक पे
दुःख अतिशय यह है हमको अपनों ने ही ललकारा है,पर उनको हम देशभक्ति के पाठ पढ़ाकर आयेंगे,
नहीं डिगा सकता भय कोई ,देश-गीत हम गायेंगे,हम कश्मीरी लाल-चौक पे राष्ट्र-ध्वजा फहराएंगे...!
अपनी ही सरजमीं हमारी राष्ट्रभक्ति फुफकार रही,वीर शहीदों की कुर्बानी को सत्ता धिक्कार रही,
हम सुभाष और बोस भगत की वो गाथा दुहराएंगे,हम कश्मीरी लाल-चौक पे वीर-ध्वजा फहराएंगे..!
हम स्वतन्त्र भारत के यौवन ,पर दानवता हावी है, भरत-शौर्य की याद दिलाती झेलम,सिन्धु,रावी है..
अपनी इस माटी की गौरव-गाथा नहीं भुलायेंगे,हम कश्मीरी लाल-चौक पे राष्ट्र-ध्वजा लहरायेंगे..!
बुधवार, 12 जनवरी 2011
अक्स ..!
समंदर की मचलती झूमती लहरों से कह आया,
हमें दो पल पलक में चेहरा उनका नज़र आया,
ठहर जा तू ज़रा बस दो घडी उनको तो आने दे....
हमें जिनके नशे में इश्क का दिलकश असर छाया...!
हमें दो पल पलक में चेहरा उनका नज़र आया,
ठहर जा तू ज़रा बस दो घडी उनको तो आने दे....
हमें जिनके नशे में इश्क का दिलकश असर छाया...!
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