रविवार, 26 दिसंबर 2010

इस क़दर ....

तेरे इश्क में इस क़दर खो रहा हूँ,
सड़क पे ही मैं आजकल सो रहा हूँ,
कहीं मार डाले मुझे ना जुदाई ,
यही सोचकर मैं बहुत रो रहा हूँ....

बहारों ने मुझको मचलना सिखाया,
नजारों ने हर पल बदलना सिखाया,
तेरी याद फिर भी मुझे क्यूँ सताए ...
मैं क्यूँ इस क़दर अश्क में खो रहा हूँ...

शनिवार, 26 जून 2010

यादों के फेरें......








"मेरा हर जख्म तेरा है मेरे आंसू भी तेरे हैं,
हमें बेदर्द कहती हो मगर ये दर्द तेरे हैं,
तो फिर सौगात बनकर क्यूँ सिमट जाते हैं ये लम्हे,
इन्ही लम्हों में मुस्काते तेरी यादों के फेरे हैं..."

रविवार, 4 अप्रैल 2010






नज़र को तो तेरी नज़रों के नजराने की चाहत है,
तेरे लब से मुझे बस मुस्कुरा लेने की चाहत है,
कि अब उम्मीद है इतनी मेरे टूटे हुए दिल में,
अब इन अश्कों को किश्तों में लुटा देने की चाहत है...!




दीवानों की तरह हम भी मचलते हैं तेरे गम में,
तेरे खामोश लब की धुन नज़र आती है सरगम में,
कहीं कोई किरण अब भी नहीं आशा की दिखती है..
नजारो से ज़रा पूछो तड़प इतनी है क्यूँ हम में ?

शनिवार, 3 अप्रैल 2010






यहाँ हर मोड़ पे, हर उम्र के, दीवाने मिलते हैं,
कहीं भौंरे मधु पीते, कहीं परवाने जलते हैं..
मगर ये तो सरासर बेईमानी का फ़साना है,
वो हर पल मौज में जीते, हमें बस ताने मिलते हैं....!

शुक्रवार, 12 मार्च 2010

.......डूबता रहा हूँ मैं




किसी सूखे पत्ते की तरह हवा में यूँ ही उड़ता रहा हूँ मैं...
रास्ते के पत्थर की तरह हर ठोकर पे यूँ ही टूटता रहा हूँ मैं..
तेरा सहारा लेकर पार कर जाऊंगा मैं ये तूफ़ाने जिंदगी ,
बस इसी आस में आजतक अकेला ही डूबता रहा हूँ मैं...

शुक्रवार, 5 मार्च 2010

जुर्रत




निशाना दूर बन बैठा करीब आता तो क्या होता....
कभी दिल के करीब आने की जुर्रत मैं अगर करता..
मुझे तो बस तेरी तस्वीर अश्कों में भी दिखती थी...
कभी आँखों से मुस्काने की जुर्रत मैं अगर करता..!



शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

तेरी हया



तेरी ज़ालिम अदाओं ने मुझे हर बार मारा है..
कभी थोड़ी हया से तो कभी बेबाक मारा है..
मेरे आंसू तेरी आँखों के शीतल नाज़ बन जाते,
मगर उनको तेरी नफरत ने तो बिंदास मारा है..!