
यहाँ हर मोड़ पे, हर उम्र के, दीवाने मिलते हैं,
कहीं भौंरे मधु पीते, कहीं परवाने जलते हैं..
मगर ये तो सरासर बेईमानी का फ़साना है,
वो हर पल मौज में जीते, हमें बस ताने मिलते हैं....!
कवि बनने की राह पर नए खुशबूदार पुष्प मिले ,उन्हें एक माला की तरह,अपने कविता-प्रेम के धागे में पिरोकर आगे बढ़ता गया,इन नए पुष्पों को संजोने की कोशिश में एक बहका सा और थोडा भटका सा शायर बन बैठा ,यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ वैसे ही अनमोल पुष्प जिन्हें अलग विषयों और अलग-अलग लोगों की पसंद के अनुसार लिखा था मैंने.आप सबसे यही अपेक्षा है कि मुझे आपके प्रेम की छाँव-तले और भी नए खुशबूदार पुष्प मिलें.जिन्हें अपने उसी प्रेम की माला में पिरोकर मैं एक अच्छा शायर और एक उत्कृष्ट कवि बन जाऊं!
Badi hee gahrayi me jati rachana!
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