शुक्रवार, 12 मार्च 2010

.......डूबता रहा हूँ मैं




किसी सूखे पत्ते की तरह हवा में यूँ ही उड़ता रहा हूँ मैं...
रास्ते के पत्थर की तरह हर ठोकर पे यूँ ही टूटता रहा हूँ मैं..
तेरा सहारा लेकर पार कर जाऊंगा मैं ये तूफ़ाने जिंदगी ,
बस इसी आस में आजतक अकेला ही डूबता रहा हूँ मैं...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ब्लॉग पर आने के लिए और अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए चम्पक की और से आपको बहुत बहुत धन्यवाद .आप यहाँ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर हमें अपनी भावनाओं से अवगत करा सकते हैं ,और इसके लिए चम्पक आपका सदा आभारी रहेगा .

--धन्यवाद !