रविवार, 6 फ़रवरी 2011

"एक" का फंडा


                  
यहाँ एक है वहां एक है,मगर एक की कथा एक है..
इसी एक को तरस रहे सब,एक नहीं जब एक fake है..!

एक नहीं तो रौब नहीं है,एक नहीं तो जॉब नहीं है...
TRUE भी एक है बाकी FALSE , एक हसीं दिलफेंक  एक है ..!

एक दर्द,दिल, एक अश्क है,एक दीवाना एक इश्क है..
एक हुस्न पे तड़प-तड़प कर,तोड़ रहा दम एक अक्स है..!

यही खुदाया एक रस्म है,एक अदालत एक चश्म है..
एक तरफ भय क्रोध दीनता,एक यहाँ संपन्न जश्न है..!

एक "एक" की कथा पुरानी,एक लफ्ज़ बिन सबकुछ पानी..
इसी "एक" को तरस रहा मैं,चलो ख़तम अब "एक" कहानी..!

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

बेबस मन ..........

             


हर दिन कहना झूठ पिता से,जाता हूँ मैं रोज कहीं,
इंटरव्यू की बात चली जो,फंस जाता हूँ मगर वहीँ..!

कब तक ऐसे झूठ चलेगा,सच्चाई की राह नहीं,

पता नहीं किस्मत की रेखा क्या बतलाना चाह रही..?

ना जाने ये किन लहरों पे जीवन नैया भाग रही,
क्यूँ बेबस मन में बेचैनी घोर निराशा जाग रही....?

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

यौवन ...



धन्य-धन्य है मेरा मन देख के तेरा स्पंदन,
बहक रहे मेरे अंजन,छू लूं क्या ये तन-चन्दन..?


मचल रहा मेरा यौवन कहो लुटा दूं तन-मन-धन,
तेरे साँसों की खुशबु से ये पवन गूंजती है सन-सन..!


निशा नशे में झूम-झूमती चन्दन की बाहों में झन्न -झन्न,
नरम अधर के ही पराग में डूब भ्रमर करता  रस-गुंजन..!


नैन-नशीले गाल-गुलाबी होठों पे प्रियतम का चन्दन,
रति-प्रिया के अंग-अंग में झलक रहा मद-यौवन छन-छन..!