गुरुवार, 19 नवंबर 2009

अदाएं....

अदाएं आशिकों की 'जान' तो होती नहीं चम्पक,
अदाएं 'जान' ले, शम्मे-हंसी की शान होती है....
कभी कोई ग़ज़ल हालात पे शायर अगर लिख दे,
अगर शायर न हो शामिल ग़ज़ल बेजान होती है..


कभी भँवरे ने कलियों से कभी कांटे ने फूलों से
बयां अपने मुहब्बत का नज़ारा यूँ किया दिल से...
मैं तेरी राह में मिट जाऊं तेरी दास्ताँ बनकर,
मुझे खारिज न कर देना तेरे इबरार-इ-महफ़िल से ..
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