बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

भ्रमर-गुंजन....!


यदि नही होता पराग फूलों के अंतस्थल में, फिर क्या भ्रमर भ्रमण करता कलियों के वासस्थल में....? नही पुष्प-मधु बिन भंवरों का रस-गुंजन तब होता, फिर सरसता को भ्रमर-पथ्य का योजन करना होता.......!


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Champak

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