मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

युवा-शक्ति :भारत

लोग कहते हैं की भारत युवाओं का देश है.आज की युवा-उर्जशक्ति तो फिर चुप क्यूँ है?देश में चरों तरफ भ्रष्टाचार फैला हुआ है......प्राकृतिक वातावरण में अप्राकृतिक शोर मचा है..विश्व का सर्वोत्तम लोकतंत्र होंने का गौरव भी हमें ही प्राप्त है पर इस लोकतंत्र का सीना chhalni क्यूँ और कैसे होता जा रहा है इस पर युवा -शक्ति इस तरह से खामोश क्यूँ है?क्या हम की अवतार या चमत्कार की प्रतीक्षा कर रहे हैं ?क्या हम अपनी युव-चेतना को यूँ ही नाश्ता होते देखना चाहते हैं?आखिर कौन करेगा शुरुआत?हम कबतक होठों पे पट्टियां बांधे रहेंगे.....जब लोकतंत्र हमारा यूँ कराहता अपे भविष्यगामी पतन की और अग्रसर है?
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"" क्यूँ लोकतंत्र का पतन देख 'भारत' सोता है?

क्या नहीं उसे वेदना-विषद अनुभव होता है?
कभी असम कभी गुजरात-बंग रक्तिम होता है,
हा-हा करती यह धरा गगन अब क्यूँ रोता है? ""
आखिर कबतक ?जागो युवा शक्ति जागो ...अपनी उर्जा का असीमता को पहचानो......!

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