गुरुवार, 24 दिसंबर 2009

नव-जीवन


नव!-नव जीवन की क्यारी में हरियाली ही हरियाली हो.
वर्ष-वर्ष बने यह जीवन का जिसमे केवल खुशहाली हो.

मं-मंद रहे दुःख की ध्वनि फिर कभी सुख का तीर न खाली हो.
-गणपति की हो कृपादृष्टि हाथों में धन की थाली हो.
-लघुता छोड़ श्रेष्ठता पा लें ऐसी आस निराली हो.
-मन प्रसन्न हो हर क्षण फिर होठों पे मधु की प्याली हो.
-यह वंदना करूँ मैं प्रभु से दुःख की न छाया काली हो.

हो-होना ही हो यदि तो फिर सुखमय वृक्षों की डाली हो.
आप सबों को नव-वर्ष में नव-जीवन की हार्दिक शुभकामनाएं...!.

1 टिप्पणी:

  1. आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

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