शनिवार, 12 दिसंबर 2009

मेरे दिन तेरे बिन....!

तुझे याद कर दिन गुजरते रहे,ये आंसू तेरे गम में झरते रहे ...
इन्हें कोई अपना समझता नहीं,ये क्यूँ बेखबर हो बरसते रहे..!

बस उम्मीद है इनको अब ये कहीं के, दिख जाये उनकी झलक एक दिन..
बसाने को उनकी नज़र दिल में अब ये, नज़र भी नज़र को तरसते रहे...!

मेरी आरजू है तेरी ख्वाहिशों में, बनके चमन हम महकते रहे....
तेरे लफ्ज़ में अपनी आवाज़ मिल के, आवाज़ देने को तरसते रहे...!

तेरे हुस्न का अब ये दीदार करने को, नज़र मेरी क्यूँ अब तरसते रहे....
इन्हें कोई इनका ठिकाना बता दे,ये हर पल ठिकाने को भटकते रहे....!


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