गुरुवार, 24 मार्च 2011

तेरी यादें

                                


गुजरते हैं मेरे दिन तो तेरी यादों के मेले में,
तेरी यादें भी तडपाती हैं रातों को अकेले में,
तेरे खामोश  लब ने भी बड़ा मुझको सताया है,
की अब तू ही नज़र आती है तन्हाई के रेले में!


1 टिप्पणी:

  1. कभी तो जिहाले नजर निहारे कोई
    मेरा भी नाम सहरा से पुकारे कोई .........

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