रविवार, 4 अप्रैल 2010






नज़र को तो तेरी नज़रों के नजराने की चाहत है,
तेरे लब से मुझे बस मुस्कुरा लेने की चाहत है,
कि अब उम्मीद है इतनी मेरे टूटे हुए दिल में,
अब इन अश्कों को किश्तों में लुटा देने की चाहत है...!

4 टिप्‍पणियां:

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--धन्यवाद !