शुक्रवार, 5 मार्च 2010

जुर्रत




निशाना दूर बन बैठा करीब आता तो क्या होता....
कभी दिल के करीब आने की जुर्रत मैं अगर करता..
मुझे तो बस तेरी तस्वीर अश्कों में भी दिखती थी...
कभी आँखों से मुस्काने की जुर्रत मैं अगर करता..!



1 टिप्पणी:

ब्लॉग पर आने के लिए और अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए चम्पक की और से आपको बहुत बहुत धन्यवाद .आप यहाँ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर हमें अपनी भावनाओं से अवगत करा सकते हैं ,और इसके लिए चम्पक आपका सदा आभारी रहेगा .

--धन्यवाद !