दुःख अतिशय यह है हमको अपनों ने ही ललकारा है,पर उनको हम देशभक्ति के पाठ पढ़ाकर आयेंगे,
नहीं डिगा सकता भय कोई ,देश-गीत हम गायेंगे,हम कश्मीरी लाल-चौक पे राष्ट्र-ध्वजा फहराएंगे...!
अपनी ही सरजमीं हमारी राष्ट्रभक्ति फुफकार रही,वीर शहीदों की कुर्बानी को सत्ता धिक्कार रही,
हम सुभाष और बोस भगत की वो गाथा दुहराएंगे,हम कश्मीरी लाल-चौक पे वीर-ध्वजा फहराएंगे..!
हम स्वतन्त्र भारत के यौवन ,पर दानवता हावी है, भरत-शौर्य की याद दिलाती झेलम,सिन्धु,रावी है..
अपनी इस माटी की गौरव-गाथा नहीं भुलायेंगे,हम कश्मीरी लाल-चौक पे राष्ट्र-ध्वजा लहरायेंगे..!
Gantantr Diwas kee dheron shubhechha!
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