मंगलवार, 17 नवंबर 2009

दिल की शायरी....

आंसुओं की स्याही से दिल के कागज पे
बयां हो दर्द-ऐ-दिल तो उसे दिल की डायरी कहते हैं,और,
महबूबा की खिदमत में महबूब के होठों से
बयां हो दर्द-ऐ-दिल तो उसे दिल की शायरी कहते हैं...!



ग़मों की आंच पे आंसू उबाल कर देखो,
बनेंगे रंग मेरे दिल पे दाल कर देखो..
तुम्हारे दिल की चुभन भी ज़रूर कम होगी,
मेरे दिल में चुभे कांटे निकाल कर देखो....!


अपने होठों पे यूँ ही मुस्कान बिछाए रखना,
अपनी आँखों में यूँ ही खुशियाँ सजाये रखना..
तुझे पाने को हर पल मचलता होगा वो,
उसकी चाहत को अपने दिल में यूँ ही जगाये रखना...!


तेरे होठों से खुद को पीने की ख्वाहिश है मेरी,
इस क़दर छह रहा है नशा मुझपे तेरी जवानी का..
तुझे तो मिल जायेंगे सनम कितने हसीं तराने,पर,
इतना तो बता क्या होगा फिर मेरी कहानी का..?


जबसे देखा है तुमको मेरी चाहत खो गयी है,
तुझे पाना है शायद इसीलिए तुझसे मुहब्बत हो गयी है..
देखो,अब न मत कह देना,क्यूंकि,
तुझे पाकर लगेगा के मेरी इबादत हो गयी है......!


कभी दिल के झरोखे में तेरा ही एक सपना था,
कभी पलकों के साए में मेरा एक दोस्त अपना था..
तुझे तो दिल की चौखट पे कभी मैंने बुलाया था,
वो,यूँ के नाम मेरे लब को बस तेरा ही जपना था...!


जहाँ देखूं वही तेरी ही खुशबु से महकता है,
जिसे चाहूँ वो भी तेरी ही गलियों में चहकता है..
कभी खुद की तरफ जो गौर से देखा यूँ ही मैंने,
मेरी आँखों में केवल तू ही बस्ती है ये लगता है..!

दोस्ती में दर्द हो तो वो प्यार होता है,
दर्द कुबूल हो तो वो इकरार होता है..
दर्द सह न पाओ तो वो इंतज़ार होता है,और,
दर्द सह लो तो वही तो इश्क-ऐ-इज़हार होता है....

2 टिप्‍पणियां:

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--धन्यवाद !